
उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में इस बार मानसून ने किसानों को निराश कर दिया है। जुलाई का महीना आधा बीत गया लेकिन बादल अब तक खुलकर नहीं बरसे। खासकर पूर्वांचल और बुंदेलखंड में बारिश की कमी से धान की रोपाई प्रभावित हो रही है। ऐसे में किसानों के सामने सवाल है – “पानी के बिना धान कैसे उगाएं?” आइए जानें कुछ देसी जुगाड़ और वैज्ञानिक तकनीकें जो आपके काम आ सकती हैं।
1. सुखे में धान की खेती: SRI तकनीक का करें इस्तेमाल
System of Rice Intensification (SRI) एक ऐसी विधि है जिसमें कम पानी में ज्यादा उत्पादन संभव होता है। इसमें:
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कम उम्र के पौधों को रोपा जाता है (8-12 दिन)
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पंक्ति में पौधों के बीच 25×25 सेमी की दूरी होती है
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खेत को लगातार पानी से भरा नहीं रखा जाता – सिर्फ नमी बनाए रखना काफी है
इससे पानी की बचत होती है और उपज भी बढ़ती है।
2. खेत में नमी बचाने के लिए मल्चिंग करें
अगर बारिश नहीं हो रही, तो खेत की नमी को बनाए रखने के लिए मल्चिंग (Mulching) बहुत मददगार हो सकती है। इससे:
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मिट्टी की ऊपरी परत जल्दी सूखती नहीं
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खरपतवार भी कम उगते हैं
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पौधे को जरूरी नमी मिलती रहती है
पुआल, सूखे पत्ते या पॉलीथिन की चादर से मल्चिंग की जा सकती है।
3. बोरवेल या तालाब का वैकल्पिक सिंचाई सिस्टम अपनाएं
अगर आपके पास बोरवेल या तालाब की सुविधा है तो ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर जैसी माइक्रो इरिगेशन तकनीक से कम पानी में ज्यादा सिंचाई की जा सकती है।
4. धान की बजाय कम पानी वाली फसलें सोचें
अगर बारिश और पानी की उपलब्धता बेहद कम है तो धान की जगह बाजरा, मूंग या उड़द जैसी फसलें भी एक विकल्प हो सकती हैं। इससे नुकसान से बचा जा सकता है।
5. कृषि वैज्ञानिकों और स्थानीय कृषि विभाग की सलाह लें
हर क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी अलग होती है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करें और मौसम के अनुसार खेती की सलाह लें।
बारिश न होने से चिंता तो है, लेकिन देसी जुगाड़, वैज्ञानिक तकनीक और स्मार्ट सिंचाई के ज़रिए किसान धान की खेती को सूखे में भी सफल बना सकते हैं। मौसम का मिजाज बदल सकता है, लेकिन आपकी तैयारी मजबूत होनी चाहिए।